राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति (पंडो) आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित…

राष्ट्रीय मनवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रणधीर कुमार छत्तीसगढ़ टीम के साथ पहुचें पंडोधाम…

देश का दूसरा राष्ट्रपति भवन छत्तीसगढ़ के पंडोनगर (सूरजपुर) में…

लगातार दो दशको से अधिक समय से पंडो जनजाति के उत्थान में कार्य कर रहे प्रदेश उपाध्यक्ष बंसी भाई…

रायगढ़ जीले के धरमजयगढ़ अंतर्गत पंडो धाम में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल भवन बसाहट से दूर होने के कारण करीब 30 से 40 नौनिहालों का भविष्य अधर में है। गांव में ग्रामीणों को इलाज के लिये दूर जाना पड़ता है या फिर झाड़फूंक और जड़ीबूटी का सहारा लेना पड़ता है।

ग्रामीणों ने बताया कि नेता यहाँ चुनाव के समय सिर्फ वोट मांगने आते है और गांव में विकास का झूठा आश्वासन देकर चले जाते है जिसके बाद फिर दुबारा कभी झांकने तक नही आते है। जिससे अब यहाँ के ग्रामीण महज एक वोटर बनकर ही रह गए है।

वहीं गांव के सरपंच ने बताया है कि पंडो जनजाति लंबे समय से वन भुमि पर निवासरत है। जिनको अभी तक वन भूमि का पट्टा नहीं मिल पाया है , जिसके लिए कई बार अर्जी भी लगाई गई है और यही वजह है कि यहाँ पर सरकार की योजनाओं का संचालन नहीं हो पा रहा है।

देश का दूसरा राष्ट्रपति भवन छत्तीसगढ़ के पंडोंनगर(सूरजपुर) में:
बता दें कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का 1952 में छत्तीसगढ़ आगमन हुआ था। छत्तीसगढ़ आने पर उन्होंने सरगुजा में पंडो आदिवासियों के बीच जाकर कुछ समय रहने की इच्छा जाहिर की थी। वे अपनी पुरानी यादों को संजोना चाहते थे। 22 नवंबर 1952 को वे तत्कालीन सरगुजा महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के साथ पंडोनगर पहुंचे थे। जहां राष्ट्रपति के प्रवास के लिए राष्ट्रपति भवन तैयार किया गया था। इसी भवन में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद रहे और पंडो व कोरवा जनजाति के आदिवासियों को अपना दत्तक पुत्र घोषित किया था। हालांकि यह बात करीब 70 साल पुरानी हो गई है, लेकिन इस राष्ट्रपति भवन की गरिमा आज भी बरकरार है।

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